Uttarakhand

डीआईटी विश्वविद्यालय में उद्यमिता पर कार्यशाला आयोजित

डीआईटी विश्वविद्यालय में उद्यमिता पर कार्यशाला आयोजित

देहरादून। डीआईटी विश्वविद्यालय (DIT University) ने बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) ज्ञान और जागरूकता पर एक अत्यधिक जानकारीपूर्ण कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला का आयोजन आईपीआर सेल, सेंटर फॉर इनोवेशन, इनक्यूबेशन और एंटरप्रेन्योरशिप एंड स्टार्टअप्स (सीआईआईईएस) द्वारा किया गया था। कार्यशाला को यूसीओएसटी और आईएचयूबी डीआईटी विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और नवोदित उद्यमियों के बीच आईपीआर की समझ को बढ़ाना था। तकनीकी सत्रों में आईआईटी रुड़की के एसोसिएट डीन (इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन) डॉ. विवेक कुमार मलिक जैसे उल्लेखनीय वक्ताओं ने इनोवेशन इकोसिस्टम पर मुख्य भाषण दिया।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रचनात्मकता, उद्यमशीलता और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत इनोवेशन इकोसिस्टम कैसे आवश्यक है। डॉ. मलिक ने बताया कि एक इनोवेशन इकोसिस्टम आपस में जुड़े संस्थानों, उद्योगों, स्टार्टअप्स, शिक्षाविदों और सरकारी निकायों का एक नेटवर्क है जो इनोवेशन को बढ़ावा देने और समर्थन देने के लिए सहयोग करते हैं। एक सफल इकोसिस्टम के प्रमुख घटकों में इनक्यूबेटर, एक्सेलेरेटर, फंडिंग मैकेनिज्म, शोध संस्थान और एक मजबूत आईपीआर ढांचा शामिल हैं। स्टार्टअप उत्तराखंड के प्रतिनिधि श्री अंकिश यादव ने क्षेत्र में स्टार्टअप के लिए उपलब्ध विभिन्न वित्तपोषण योजनाओं पर जानकारीपूर्ण जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि स्टार्टअप उत्तराखंड, उत्तराखंड सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य स्टार्टअप को उनके विकास के विभिन्न चरणों में सहायता देकर नवाचार, उद्यमशीलता और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है। यूकोस्ट के वैज्ञानिक बी श्री हिमांशु गोयल सहित अन्य विशेषज्ञों ने बौद्धिक संपदा की सुरक्षा में भौगोलिक संकेत (जीआई), कॉपीराइट और ट्रेडमार्क की जानकारीपूर्ण व्याख्या की। पेटेंट अटॉर्नी और ईएलपीआईएस एनालिटिक्स की उपाध्यक्ष श्रीमती सौम्या कौशिक ने क्रमशः भारत में फार्मास्युटिकल आविष्कारों के तकनीकी हस्तांतरण में शामिल कार्यप्रणाली पर बात की। उन्होंने इस प्रक्रिया में पेटेंट संरक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, यह सुनिश्चित करते हुए कि आविष्कारकों को उचित मुआवजा मिले, जबकि फार्मास्युटिकल उद्योग को नई और जीवन रक्षक दवाओं को कुशलतापूर्वक बाजार में लाने की अनुमति मिले।

नियामक अनुपालन, बौद्धिक संपदा अधिकारों और शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच सहयोग में चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। कार्यशाला में नवाचार को बढ़ावा देने और बौद्धिक संपदा की सुरक्षा में आईपीआर की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। कार्यशाला में देहरादून के विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों से प्रतिभागी उपस्थित थे, जिनमें मुख्य रूप से सिद्धार्थ इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, अल्पाइन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एवं एसजीआरआर यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। कार्यशाला का उद्घाटन डॉ जी रघु रामा (कुलपति), डॉ पात्रा (प्रो कुलपति) और रजिस्ट्रार (डॉ सैमुअल) द्वारा किया गया।

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