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उत्तराखंड की धरा पर अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक महोत्सव का आगाज

उत्तराखंड की धरा पर अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक महोत्सव का आगाज

उत्तराखंड: हिमालय की पवित्र धरा में स्थित भारत के पहले लेखक गाँव थानों में 25 से 27 अक्टूबर 2024 तक एक भव्य अंतर्राष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति और कला महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। यह आयोजन साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित साहित्यकारों, कलाकारों और संस्कृतिकर्मियों को एक मंच प्रदान करेगा।इस ऐतिहासिक महोत्सव में देश-विदेश के प्रतिभागी अपनी कला और संस्कृति के माध्यम से एक-दूसरे से संवाद करेंगे, जिससे न केवल नई रचनात्मकता का उदय होगा, बल्कि भारत के सांस्कृतिक समृद्धि को भी बल मिलेगा।इस महोत्सव के बारे में पूर्व शिक्षा मंत्री, भारत सरकार एवं पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के साथ अंकित तिवारी ने विशेष बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

प्रश्न 1: डॉ. निशंक, लेखक गाँव की संकल्पना क्या है, और यह विचार आपके मन में कैसे आया?

उत्तर: लेखक गाँव की संकल्पना मेरे मन में कई सालों से चल रही थी, लेकिन इसका बीज वास्तव में तब बोया गया जब मैंने स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को एक पुस्तक के लोकार्पण के दौरान भावुक होते हुए देखा। उन्होंने उस समय बहुत दर्द व्यक्त किया था कि इस देश में लेखकों का वह सम्मान नहीं है, जो होना चाहिए। उन्होंने श्याम नारायण पांडे जी सहित कई लेखकों का उदाहरण दिया, जिनके साहित्य से हम अपनी पीढ़ियों को शिक्षित करते हैं, लेकिन उनका जीवन उनके अंतिम समय में बेहद कष्टदायक रहा। अटल जी की ये बातें दिल को छू गईं। उनके द्वारा कही गई ये बातें मेरे मन में गहरी छाप छोड़ गईं, और तब मुझे महसूस हुआ कि लेखकों के लिए एक ऐसा स्थान होना चाहिए जहाँ वे सम्मानपूर्वक जीवन बिता सकें, विशेषकर अपने जीवन के अंतिम चरणों में।

प्रश्न 2:  निशंक जी, ‘लेखक गाँव’ थानों की अवधारणा को लेकर आपका क्या दृष्टिकोण है? इस पहल की शुरुआत कैसे हुई?

उत्तर: ‘लेखक गाँव’ की अवधारणा मेरी आत्मा के करीब है। यह एक ऐसा स्थान है जहां साहित्यकार, लेखक, कवि, और कलाकार एकत्रित होकर अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकें और नई रचनाओं का सृजन कर सकें। हमारी उत्तराखंड की धरती सदैव से प्रतिभा और रचनात्मकता की भूमि रही है। मैंने महसूस किया कि एक ऐसा स्थान होना चाहिए जो लेखन और साहित्यिक संवाद को बढ़ावा दे, और इस विचार से ‘लेखक गाँव’ की परिकल्पना का जन्म हुआ। थानों का प्राकृतिक सौंदर्य और शांति इसे इस पहल के लिए एक आदर्श स्थान बनाते हैं।

प्रश्न 3: लेखक गाँव के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति और साहित्यिक धरोहर को किस प्रकार संजोने और बढ़ावा देने की योजना है?

उत्तर: उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर अद्वितीय है। ‘लेखक गाँव’ के माध्यम से हम न केवल लेखन और साहित्य को बढ़ावा देंगे, बल्कि यहाँ के समृद्ध लोकगीत, लोककथाओं और संस्कृति को भी संरक्षित करने का प्रयास करेंगे। यहाँ नियमित रूप से साहित्यिक गोष्ठियों, कवि सम्मेलनों, और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिससे उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को व्यापक स्तर पर पहुँचाया जा सकेगा।

प्रश्न 4: लेखक गाँव की स्थापना का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: इसका प्रमुख उद्देश्य उन लेखकों को एक मंच देना है, जो अकेलापन महसूस करते हैं, या जिनके पास अपने विचारों को प्रकट करने का अवसर नहीं है। यह गाँव एक ऐसा स्थान होगा जहाँ लेखक अकेला महसूस नहीं करेगा। यह न केवल वर्तमान लेखकों के लिए बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत होगा। यहाँ पर युवा लेखक अपनी रचनात्मकता को निखार सकेंगे, चाहे वह प्रकृति हो, संस्कृति, विज्ञान, पर्यावरण या किसी भी अन्य विषय पर। उन्हें एक ऐसा स्थान मिलेगा, जहाँ वे अपने विचारों को खुलकर व्यक्त कर सकें।

प्रश्न 5: इस परियोजना से आप साहित्य और समाज को किस दिशा में बढ़ते हुए देख रहे हैं?

उत्तर: इस लेखक गाँव का सबसे बड़ा उद्देश्य यह है कि न केवल भारत के बल्कि दुनिया भर के रचनाकार यहाँ आएँ, अपने अनुभव साझा करें और नए विचारों का आदान-प्रदान हो। यहाँ पर नियमित रूप से साहित्यिक उत्सव, पुस्तक मेले और चर्चाएँ आयोजित होंगी, जो साहित्यिक जगत को एक नई दिशा देंगे। यह गाँव केवल लेखकों के लिए ही नहीं, बल्कि समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा। इससे समाज में साहित्य और संस्कृति की जड़ों को और मजबूत किया जा सकेगा।

प्रश्न 6: लेखक गाँव की गतिविधियों और कार्यक्रमों के बारे में कुछ बताइए।

उत्तर: लेखक गाँव में साहित्यिक गतिविधियों का केंद्र बनाया जाएगा। यहाँ पर लेखन कार्यशालाएँ, विचार-विमर्श, और पुस्तक उत्सव जैसे कार्यक्रम होंगे। इसके साथ ही, यह स्थान साहित्यकारों के लिए एक आश्रय स्थल होगा, जहाँ वे शांति से अपनी रचनाओं पर काम कर सकेंगे। यह गाँव केवल लेखन का ही केंद्र नहीं बनेगा, बल्कि यहाँ पर सांस्कृतिक और कलात्मक गतिविधियाँ भी होंगी, जो समाज के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेंगी।

प्रश्न 7: इस गाँव से आप नई पीढ़ी को कैसे जोड़ना चाहते हैं?

उत्तर: नई पीढ़ी हमारे देश की सबसे बड़ी संपत्ति है। लेखक गाँव उन्हें रचनात्मकता की ओर प्रेरित करेगा। हम चाहते हैं कि युवा लेखक यहाँ आकर अपने विचार साझा करें और नए दृष्टिकोण को विकसित करें। उन्हें साहित्य, कला, विज्ञान और संस्कृति के माध्यम से समाज की भलाई के लिए योगदान देने का अवसर मिलेगा। यह गाँव उनके लिए एक ऐसा स्थान होगा, जहाँ वे अपने विचारों को व्यक्त कर सकेंगे और एक नई दिशा में आगे बढ़ेंगे।

प्रश्न 8: ‘लेखक गाँव’ के भविष्य की क्या योजनाएँ हैं? क्या इसे राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार देने की योजना है?

उत्तर: ‘लेखक गाँव’ को हम एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने का प्रयास करेंगे। उत्तराखंड की धरोहर को विश्व स्तर पर पहुँचाने की योजना है। यहाँ देश-विदेश के लेखक और साहित्यकार आकर अपने अनुभवों का आदान-प्रदान करेंगे। इसके साथ ही, हम ऑनलाइन माध्यमों का भी उपयोग करेंगे, ताकि साहित्यिक संवाद सीमाओं से परे होकर वैश्विक स्तर पर पहुँच सके। हमारी योजना है कि यह गाँव एक साहित्यिक मील का पत्थर बने और साहित्यिक प्रेमियों के लिए एक प्रेरणादायक स्थल हो।

प्रश्न 9: लेखक गाँव से देश और दुनिया को क्या संदेश देना चाहते हैं?

उत्तर: यह गाँव केवल लेखकों के लिए नहीं, बल्कि समाज के हर उस व्यक्ति के लिए है, जो रचनात्मकता, कला और साहित्य से जुड़ा हुआ है। हम चाहते हैं कि इस गाँव से साहित्यिक और सांस्कृतिक क्रांति का आरंभ हो, जो न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को प्रेरित कर सके। साहित्य के माध्यम से समाज की समस्याओं को हल किया जा सकता है और नए विचारों को जन्म दिया जा सकता है। मुझे पूरी उम्मीद है कि लेखक गाँव का यह सपना जल्द ही साकार होगा और यह स्थान दुनिया भर के साहित्यकारों का घर बनेगा।

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