Uttarakhand

इंफाल घाटी में तनाव, 23 नवंबर तक बंद रहेंगे स्कूल-कॉलेज!

इंफाल घाटी में तनाव, 23 नवंबर तक बंद रहेंगे स्कूल-कॉलेज!

इंफाल घाटी में तनाव के बीच छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूल और कॉलेज को 23 नवंबर तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है। एक आधिकारिक अधिसूचना में बुधवार को यह जानकारी दी गई। जिरिबाम जिले में हुई हिंसा से राज्य में पैदा हुए तनाव के बाद 16 नवंबर से ही घाटी के पांच जिलों इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग में स्कूल तथा कॉलेज बंद हैं।

अधिसूचना के मुताबिक, इन जिलों में 23 नवंबर तक सरकारी, निजी स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे।अधिसूचना के अनुसार, इंफाल घाटी के पांच जिलों में जारी निषेधाज्ञा के बीच गुरुवार सुबह ढील दी जाएगी ताकि लोग आवश्यक वस्तुएं खरीद सकें।

इंफाल पूर्व और काकचिंग जिलों में सुबह पांच बजे से दोपहर 12 बजे तक और इंफाल पश्चिम, थौबल और बिष्णुपुर जिलों में सुबह पांच बजे से सुबह 10 बजे तक छूट दी जाएगी।

प्रतिबंधों में ढील देने की आवश्यकता

अधिसूचना में कहा गया है कि कानून-व्यवस्था में सुधार के कारण लोगों को दवाओं और खाद्य पदार्थों सहित आवश्यक वस्तुओं को खरीदने के लिए प्रतिबंधों में ढील देने की आवश्यकता है। जिरीबाम जिले में हिंसा के बाद बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई है।सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर को दिया आठ हफ्ते का समय

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मणिपुर सरकार को राज्य में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब देने के लिए आठ सप्ताह का समय दे दिया। अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के बाद मणिपुर चौथा राज्य है जहां आईएलपी व्यवस्था लागू है।

बाहरी लोगों को अनुमति की आवश्यकता

आईएलपी शासन वाले राज्यों में जाने के लिए देश के अन्य राज्यों के लोगों सहित बाहरी लोगों को अनुमति की आवश्यकता होती है।राज्य सरकार के वकील की ओर से समय मांगे जाने के बाद जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने मणिपुर को समय प्रदान किया।

प्रवेश व निकास को प्रतिबंधित

शीर्ष अदालत ने तीन जनवरी, 2022 को ‘आमरा बंगाली’ नामक संगठन की याचिका पर केंद्र और मणिपुर सरकार समेत अन्य को नोटिस जारी किया था। याचिका में तर्क दिया गया कि आईएलपी राज्य को गैर-मूल निवासियों या उन लोगों के प्रवेश व निकास को प्रतिबंधित करने की अनियंत्रित शक्ति प्रदान करता है जो मणिपुर के स्थायी निवासी नहीं हैं।

संगठन ने कहा, ‘बेहद कठोर आईएलपी प्रणाली मूल रूप से इनर लाइन से परे क्षेत्र में सामाजिक एकीकरण, विकास और तकनीकी उन्नति की नीतियों की विरोधी है, इसके अलावा यह राज्य में पर्यटन में बाधा डालती है जो इन क्षेत्रों के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्त्रोत है।’

मौलिक अधिकारों का उल्लंघन

याचिका में मणिपुर इनर लाइन परमिट दिशानिर्देश, 2019 को भी चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया है कि 2019 का आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है क्योंकि यह राज्य को गैर-मूल जातीय लोगों के प्रवेश और निकास को प्रतिबंधित करने की शक्ति प्रदान करता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button