Dehradun- Graphic Era Institute में Vice Chancellor Conference का शानदार आयोजन
Dehradun- Vice Chancellor Conference organized grandly at Graphic Era Institute
देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि अपनी सभ्यता, संस्कृति और इतिहास को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़ना सबसे बड़ी चुनौती है। राज्यपाल आज भारतीय विश्वविद्यालय संघ के नॉर्थ जोन के कुलपति सम्मेलन(Vice Chancellor Conference) को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंसेज(Graphic Era Group of Institutions) के सभागार में आयोजित भारतीय विश्वविद्यालय संघ के इस सम्मेलन(Vice Chancellor Conference) में नॉर्थ जोन के राज्यों के 100 से ज्यादा विश्वविद्यालयों के कुलपति उच्च शिक्षा के भविष्य की दिशा पर मंथन करेंगे।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा कि देश के 21वीं सदी के सपने तभी पूरे होंगे जब हमारे संकल्प ठीक होंगे। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस हमें ब्रह्मांड की ओर ले जा रहा है। हमें इस संकल्प के साथ आगे बढ़ना है कि ये आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस हमें सम्पूर्ण इंटेलीजेंस और फिर कॉस्मिक इंटेलीजेंस की ओर ले जा रही है। इस कॉस्मिक को भारत के लोग ज्यादा अच्छी तरह समझते हैं।उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मेटावर्स और क्वांटम कम्प्यूटिंग के रूप में जो तीन बदलाव सामने आ रहे हैं, ये हमारे सोचने, समझने और देखने के नजरिये को पूरी तरह बदल देंगे।
भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता। कोविड के काल में दुनिया का चिकित्सा का ढांचा ध्वस्त हो गया था, लेकिन भारत ने उस दौर में अपनी क्षमता दिखा दी। कोविड के बाद देश तेजी से डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ा है। विश्वविद्यालय संघ के 100वें वर्ष में आयोजित इस मंथन(Vice Chancellor Conference) में जो विचार करेंगे वह शिक्षा के अगले सौ वर्षों के लिए होगा।राज्यपाल सिंह ने कहा कि नई तकनीकों को शहरों तक ही सीमित नहीं रखना है, इन्हें गांवों तक पहुंचाना है जिससे गांवों के लोगों को भी समान लाभ मिले और डिजिटल डिवाइड खत्म हो।
आज के दौर में 80 प्रतिशत जॉब्स एआई से जुड़े हैं, यही सही समय है कि शिक्षा को नवाचार से जोड़कर भविष्य की चिंताओं को दूर किया जा सके।कुलपति सम्मेलन(Vice Chancellor Conference) को विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए उत्तराखंड के शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने राज्य में 37 विश्वविद्यालय होने तथा चार विश्वविद्यालय निर्माण की प्रक्रिया में होने का उल्लेख करते हुए राज्य में विश्वविद्यालयों की एसोसियेशन बनाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर बनाने और विश्वविद्यालयों में परस्पर सहयोग बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है।
उत्तराखंड में सौ सेमिनार करके नवाचार और रैंकिंग को बेहतर बनाने का कार्य किया जाएगा। डॉ रावत ने बताया कि उत्तराखंड में दूसरे राज्यों के करीब एक लाख बारह हजार बच्चे पढ़ रहे हैं। दूसरे देशों के करीब 18 हजार युवा यहां पढ़ते हैं। युवा सबसे पहले रैंकिंग देखते हैं। उन्होंने एआईयू से राज्य में अपनी सेवाएं देने का अनुरोध किया। भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष व छत्रपति शाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी कानपुर के कुलपति डॉ विनय कुमार पाठक ने सम्मेलन(Vice Chancellor Conference) को संबोधित करते हुए कहा कि यह पीढ़ी चौथी औद्योगिक क्रांति को देख रही है।
इसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इंसान और मशीन के साथ संगम हो रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में इतना निवेश हो रहा है, जो भारत की जीडीपी से चार गुना अधिक है। ओपन एआई सामने आने के बाद कुछ ही दिनों में गूगल जैसी कम्पनियों से आगे बढ़ गई। अध्यक्ष डॉ पाठक ने कहा कि पहले ऑटोमोबाइल में 1400 मुविंग पार्ट्स होते थे, अब केवल चार मूविंग पार्ट्स होते हैं। उन्होंने समय के साथ ऑप्रेटिंग सिस्टम को अपडेट करने पर जोर देते हुए नोकिया का उदाहरण दिया।
डॉ पाठक ने कहा कि नोकिया ने अपना ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं बदला, पुराने सिस्टम पर ही चलते रहने के कारण यह बड़ी कम्पनी खत्म हो गई। उन्होंने कहा कि रिसर्च पेपर से प्रोडेक्ट डेवलप होने चाहिए। विश्वविद्यालयों को अपने शोधों से अधिक से अधिक प्रोडेक्ट तैयार करने चाहिएं। ताइवान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा छोटा सा देश होने के बावजूद वह सेमी कंडक्टर बनाने में सबसे आगे है। डॉ पाठक ने उदाहरण देते हुए कहा कि थ्योरी और प्रैक्टिकल के पीरियड से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है कि प्रॉब्लम सॉल्व करना सिखाया जाये।
शिक्षा जीवन को सुगम बनाने और आगे बढ़ाने वाली होनी चाहिए। इसके लिए प्रोडेक्ट बनाने की नई नई तकनीकें खोजना और उन्हें उपयोग में लाना बहुत आवश्यक है। भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष डॉ पाठक ने देश को आगे बढ़ाने और युवाओं का भविष्य संवारने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, साइबर सिक्योरिटी, सेमी कंडक्टर, क्वांटम कम्यूटिंग, वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी जैसी तकनीकों पर कार्य करने का आह्वान किया।
उद्घाटन सत्र(Vice Chancellor Conference) को संबोधित करते हुए ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस(Graphic Era Group of Institutions) के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आते बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा कि अगले दस वर्षों में सब कुछ बदल जाएगा। आने वाले समय में कोई क्लास रूम नहीं होगा। बच्चे स्टूडियो या मॉर्डन क्लास में बैठकर पढ़ाई करेंगे और टीचर ऑनलाइन प्रेजेंटेशन देंगे। बच्चे कुछ खास समारोह के अवसरों पर ही कॉलेज आया करेंगे। किसी छात्र को जिस विश्वविद्यालय का जो विषय अच्छा लगेगा, वह वहां से उस विषय को पढ़ेगा और किसी दूसरे विश्वविद्यालय से कोई दूसरा विषय पढ़ेगा।
क्रेडिट ट्रांसफर की व्यवस्था के जरिये यह एक सामान्य बात बन जाएगा। इसलिए अभी से सबका तैयार होना आवश्यक है। डॉ घनशाला ने कहा कि देश के विश्वविद्यालयों के समक्ष कई तरह की चुनौतियां हैं। रिलेशनशिप बराबरी के स्तर पर होती है। कोई अच्छी रैंक वाली यूनिवर्सिटी अपने से नीचे के स्तर वाली यूनिवर्सिटी के साथ जुड़ने का कोई करार नहीं करना चाहती है। इसलिए विश्व के प्रमुख विश्वविद्यालयों के साथ जुड़ने के लिए देश के विश्वविद्यालयों को भी अपना स्तर उठाना होगा। देश में हर दिन नये विश्वविद्यालय खुलने का उल्लेख करते हुए डॉ घनशाला ने कहा कि अच्छे शिक्षकों का होना जरूरी है ताकि बच्चों के बेसिक्स क्लियर रहें।
भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ पंकज मित्तल ने एआईयू के क्रियाकलापों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संघ के पांच जोन के लिए उच्च शिक्षा की जरूरतों से जुड़े विषय कुलपति सम्मेलन(Vice Chancellor Conference) की थीम के रूप में रखे गये हैं। एआईयू छात्र छात्राओं के सम्पूर्ण विकास के लिए शैक्षिणिक के साथ ही खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करता है। देश के एक हजार 28 विश्वविद्यालयों से जुड़े विश्वविद्यालय संघ की स्थापना के सौ साल पूरे हो रहे हैं।
सर्वपल्ली राधाकृष्ण, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी, डॉ जाकिर हुसैन, डॉ के एल श्रीमाली जैसी विभूतियां इस संघ के अध्यक्ष के रूप में सेवा कर चुकी हैं। सम्मेलन(Vice Chancellor Conference) में यूकोस्ट के महानिदेशक डॉ दुर्गेश पंत, एआईयू के संयुक्त सचिवों डॉ आलोक कुमार मिश्रा, रंजना परिहार व कुलदीप डागर भी मौजूद रहे। संचालन ग्राफिक एरा के प्रोफेसर डॉ एम पी सिंह ने किया। उद्धाटन सत्र के बाद मंथन के सत्र शुरू हो गये। दो दिन चलने वाले इस कुलपति सम्मेलन(Vice Chancellor Conference) में उत्तराखंड, उ.प्र., हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू काश्मीर आदि राज्यों के 100 से अधिक कुलपति उच्च शिक्षा पर मंथन कर रहे हैं और इतने ही विश्वविद्यालयों के कुलपति ऑनलाइन इस सम्मेलन(Vice Chancellor Conference) से जुड़े हैं।